असमंज में
असमंजस में बीत गए दिन
न कर पाए कुछ भी तय
जल का घट था जल में फूटा
जल ही में हो गया विलय
ताने बाने को संवारने में
ही उम्र गुज़र जाती है
क्या मैं करूँ न करूँ क्या मैं
उलझन लक्ष्य न ला पाती है
अनिर्णय की आशंका से
कभी न पाई सुखद विजय
जल का घट था जल में फूटा
जल ही में हो गया विलय
मुरझा गए फूल मधुबन के
हरी भरी सूखी डाली
संघर्षों से होड़ लगाकर
वृद्ध हो गया वन माली
वृक्ष छोड़ उड़ चले पखेरू
भू पर बिखरे पड़े निलय
जल का घट था जल में फूटा
जल ही में हो गया विलय