अश्रु
कोई गम के तो कोई खुशी के,
पर , आंसु तो सभी बहा रहे,
अपनों के लिए कोई,
कोई अपने लिए,
पर निकल रहे नयनों से,
यह धारा सभी के,
कोई पीड़ा में तो ,
कोई प्रसन्नता में,
पर गिले है नयन सभी के,
यह आंसु ही तो है,
जो सबके समान है,
ना देखती यह अमीरी-गरीबी,
बस बह जाती सब के आंखों से।