अश्रु बदरी
अश्रु बदरी
हूँ दुःख से भरी अश्रु बदरी
मैं बरसूँ या खामोश रहूँ
रश्मि विमुख हुई जीवन से
किससे जाकर ये बात कहूँ।
बिन सरिता तरिणी डूब रही
आकर मैं किनारे कैसे लगूँ
मेरे माझी ने है डुबाया मुझको न डुब सकूँ न तैर सकूँ
मैं दुःख से भरी अश्रु बदरीÊन रूक पाऊँ न बरस सकूँ।
नीलम शर्मा