अश्रु (नील पदम् के दोहे)
दो अश्रु नैनन ढले, किया समन्दर खार,
मन कितना हल्का किया, ये मन पर उपकार।
अश्रु छोड़ें नैन जब, छूटे तब दुःख का साथ,
मन हल्का तब और हो, जब कोई बढ़ाये हाथ।
आँखों में अश्रु बसें, और बसे हृदय में पीर,
नग्न पीर हो जात है, बहें अश्रु फटे ज्यों चीर।
अश्रु मोती आँख के, रखियो इन्हें सम्भाल,
जरा-जरा सी बात पे, काहे रहे निकाल।
(c)@ दीपक कुमार श्रीवास्तव “नील पदम्”