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15 Jun 2023 · 1 min read

“अश्रुधारा”

मन व्यथित हो जाता है तब,
उदग्नि बढ़ जाती हैं,
उसकी तपन मिटाने को,
अश्रुधारा बह जाती है,

अश्रुधारा तो हैं ऐसी गंगा,
जब चाहे बह जाती हैं,
गम मिले या अपार खुशियां,
अपनी कहानी कह जाती हैं,

मन कुंठित हो जाता है,
तब लावा हिलोरे लेता है,
उसकी ज्वाला मिटाने को,
अश्रुधारा बह जाती है,

अवसाद रूपी धरती दहकें,
तब घनघोर घटायें छाती हैं,
भूमि की तपन मिटाने को,
अश्रुधारा बह जाती है,

लौ में ईश्वर के जब,
अपनी लौ मिल जाती हैं,
अंतर्मन के पट खुलते जब,
अश्रुधारा बह जाती है,

प्रभु – प्रेम में जिनके नयन बहें,
वो मानव धन्य हो जाते हैं,
इस जहाँ की तो बात ही क्या,
“शकुन” वैतरणि भी तर जाते हैं।।

Language: Hindi
63 Views
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