अश्रद्धा।
अश्रद्धा।
-आचार्य रामानंद मंडल
बने आबि लरकी।
श्रद्धा न अश्रद्धा।
एगो हय कहल।
शीलवंत मरदाबा भिखार।
शीलवंत मौगी छिनार।
श्रद्धा रहे अहिले।
कहल गेल छिनार।
आ काटल गेले।
जौं रहिते अश्रद्धा।
न कहल जैते छिनार।
न काटल जैते अश्रद्धा।
काटल जैते काटेवाला।
न चाही श्रद्धा ।
चाही आइ अश्रद्धा।
रामा चाही अश्रद्धा।
-आचार्य रामानंद मंडल सामाजिक चिंतक सह साहित्यकार सीतामढ़ी।