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27 Oct 2016 · 1 min read

अश्को का अक्स नजर आया है

अक्सर खुद को खुद से फरेब करते पाया है
दिल मे कुछ जुबॉ को कुछ और कहते पाया है

ओस की बूंदो को जो देखा जी भर के
तो खुद के अश्को का ही अक्स नजर आया है

बह गए कितने किस्से उन अश्को की गली मे
हर किस्से मे तेरा वजूद नजर आया है

बारिश की बूंदे कह गई कुछ किस्से नूरानी
भीगे बिस्तर पर किस्सा तेरा ही नजर आया है

टूटते सितारे से कुछ भी मॉगू कैसे
खुद के सितारों को बेवजह टूटते हुए पाया है

Language: Hindi
440 Views

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