जो अश्कों की बरसात हुई
गहरा इश्क़ था, क्यों घात हुई
दिल टूटा तो, बरसात हुई // मतला //
ताउम्र रहे सावन-भादो
जो अश्कों की बरसात हुई // 1. //
दुःख ही शामिल थे क़िस्मत में
रहमत मुझपे, दिन-रात हुई // 2. //
फूलों ने सबको ज़ख़्म दिए
ख़ारों से अक्सर बात हुई // 3. //
अक्सर आँखों ही आँखों में
गहरी बातें, बिन बात हुई // 4. //
जी की बात रही जी में ही
कैसी हाय! मुलाक़ात हुई // 5. //
उल्फ़त की शतरंज बिछी थी
यूँ अक्सर शह-ओ-मात हुई // 6. //
थे हिन्दू-मुस्लिम, मिल न सके
दुश्मन इन्सानी ज़ात हुई // 7. //
फिर ठहरा वक़्त कहाँ ग़ुज़रा
फिर दिन निकला ना रात हुई // 8. //
फिर दोष किसीको क्यों दे हम
जब पग-पग पर ही घात हुई // 9. //
हरदम टूटे दुःख विरहा के
यूँ रोज़ यहाँ बरसात हुई // 10. //
ये तो दस्तूरे-उल्फ़त था
क्यों सब कहते हैं घात हुई // 11. //