अश’आर
1-उनके खूबसूरत होठों को छूकर गुनाह किया था।
नादान थे, नासमझ थे पर इश्क़ बेपनाह किया था।
2-हमने सुना था कि,
इश्क़ रुसवाई देता है।
पर हमारा अनुभव ये रहा,
कि ये जुदाई देता है।
3-बुरा मानोगे, ये जानते,
तो कभी इज़हार न करते।
मन ही मन तुम्हें चाहतें,
पर कभी प्यार न करते।
4-इश्क़ तुमसे ही सीखा,
पर अकेली रह गई।
मैं खुद के लिए भी,
इक पहेली रह गईं।
प्यार के इज़हार ने,
सब खत्म कर दिया,
ना मैं प्यार बन सकी,
और ना सहेली रह गई।
5-प्रेम का दीप मेरे मन में जलाया तुमने।
किये वादे बहुत पर एक ना निभाया तुमने।
तुम्हारे प्रेम में प्राण की आहुति मैं दे दूं।
गर मेरा इश्क़ कभी भी आजमाया तुमने।
6-ऐ खूबसूरत परिंदे, अब लौट आ,
कि तेरा इंतजार घर में है।
ये हादसा रहा तेरी जिन्दगी का,
कि तू उम्र भर से सफर में है।
7-कह रही चलती हवाएं,
कुछ नए अल्फ़ाज़ हैं।
खूबसूरत वो परी सी,
उसकी ये आवाज़ है।
ये सदाएं, ये फिजाएं,
साथ हैं उनके मगर,
हैं अकेले वो भटकते,
उनका ये अंदाज है।
@स्वरचित व मौलिक
शालिनी राय ‘डिम्पल’✍️