Sahityapedia
Sign in
Home
Search
Dashboard
Notifications
Settings
18 Jul 2024 · 1 min read

अश’आर

1-उनके खूबसूरत होठों को छूकर गुनाह किया था।
नादान थे, नासमझ थे पर इश्क़ बेपनाह किया था।

2-हमने सुना था कि,
इश्क़ रुसवाई देता है।
पर हमारा अनुभव ये रहा,
कि ये जुदाई देता है।

3-बुरा मानोगे, ये जानते,
तो कभी इज़हार न करते।
मन ही मन तुम्हें चाहतें,
पर कभी प्यार न करते।

4-इश्क़ तुमसे ही सीखा,
पर अकेली रह गई।
मैं खुद के लिए भी,
इक पहेली रह गईं।
प्यार के इज़हार ने,
सब खत्म कर दिया,
ना मैं प्यार बन सकी,
और ना सहेली रह गई।

5-प्रेम का दीप मेरे मन में जलाया तुमने।
किये वादे बहुत पर एक ना निभाया तुमने।
तुम्हारे प्रेम में प्राण की आहुति मैं दे दूं।
गर मेरा इश्क़ कभी भी आजमाया तुमने।

6-ऐ खूबसूरत परिंदे, अब लौट आ,
कि तेरा इंतजार घर में है।
ये हादसा रहा तेरी जिन्दगी का,
कि तू उम्र भर से सफर में है।

7-कह रही चलती हवाएं,
कुछ नए अल्फ़ाज़ हैं।
खूबसूरत वो परी सी,
उसकी ये आवाज़ है।
ये सदाएं, ये फिजाएं,
साथ हैं उनके मगर,
हैं अकेले वो भटकते,
उनका ये अंदाज है।

@स्वरचित व मौलिक
शालिनी राय ‘डिम्पल’✍️

Language: Hindi
Tag: शेर
86 Views

You may also like these posts

जिंदगी में सिर्फ हम ,
जिंदगी में सिर्फ हम ,
Neeraj Agarwal
जय मातु! ब्रह्मचारिणी,
जय मातु! ब्रह्मचारिणी,
Neelam Sharma
आज मैंने पिताजी को बहुत करीब से देखा इतना करीब से कि उनके आं
आज मैंने पिताजी को बहुत करीब से देखा इतना करीब से कि उनके आं
पूर्वार्थ
*चुनावी कुंडलिया*
*चुनावी कुंडलिया*
Ravi Prakash
स्त्री का बल, स्त्री का संबल।
स्त्री का बल, स्त्री का संबल।
Kanchan Alok Malu
लौटना पड़ा वहाँ से वापस
लौटना पड़ा वहाँ से वापस
gurudeenverma198
ग़ज़ल : कौन आया है ये मेरे आशियाने में
ग़ज़ल : कौन आया है ये मेरे आशियाने में
Nakul Kumar
धनुष वर्ण पिरामिड
धनुष वर्ण पिरामिड
Rambali Mishra
हिन्दी सूरज नील गगन का
हिन्दी सूरज नील गगन का
डॉ प्रवीण कुमार श्रीवास्तव, प्रेम
बेवजह की नजदीकियों से पहले बहुत दूर हो जाना चाहिए,
बेवजह की नजदीकियों से पहले बहुत दूर हो जाना चाहिए,
डॉ. शशांक शर्मा "रईस"
इंसान
इंसान
Bodhisatva kastooriya
घाव बहुत पुराना है
घाव बहुत पुराना है
Atul "Krishn"
संसार मेरे सपनों का
संसार मेरे सपनों का
ओमप्रकाश भारती *ओम्*
Staring blankly at the empty chair,
Staring blankly at the empty chair,
Chaahat
उत्तराखंड के बाद अब दहकने लगे दुनियां के फेफड़े
उत्तराखंड के बाद अब दहकने लगे दुनियां के फेफड़े
Rakshita Bora
कभी महफ़िल कभी तन्हा कभी खुशियाँ कभी गम।
कभी महफ़िल कभी तन्हा कभी खुशियाँ कभी गम।
Prabhu Nath Chaturvedi "कश्यप"
मुग़ल काल में सनातन संस्कृति,मिटाने का प्रयास हुआ
मुग़ल काल में सनातन संस्कृति,मिटाने का प्रयास हुआ
सुरेश कुमार चतुर्वेदी
करते रहिए भूमिकाओं का निर्वाह
करते रहिए भूमिकाओं का निर्वाह
Umesh उमेश शुक्ल Shukla
4721.*पूर्णिका*
4721.*पूर्णिका*
Dr.Khedu Bharti
ग़ज़ल _ रोज़ तन्हा सफ़र ही करती है ,
ग़ज़ल _ रोज़ तन्हा सफ़र ही करती है ,
Neelofar Khan
मिथिला के अमृत स्वर
मिथिला के अमृत स्वर
श्रीहर्ष आचार्य
क्या गुजरती होगी उस दिल पर
क्या गुजरती होगी उस दिल पर
Suman (Aditi Angel 🧚🏻)
मेरी कलम से…
मेरी कलम से…
Anand Kumar
विश्वास🙏
विश्वास🙏
तारकेश्‍वर प्रसाद तरुण
वक़्त मरहम का काम करता है,
वक़्त मरहम का काम करता है,
Dr fauzia Naseem shad
" अधरों पर मधु बोल "
भगवती प्रसाद व्यास " नीरद "
"बचपन के गाँव"
Dr. Kishan tandon kranti
दोहे
दोहे
अशोक कुमार ढोरिया
गुलाल का रंग, गुब्बारों की मार,
गुलाल का रंग, गुब्बारों की मार,
Ranjeet kumar patre
चुनाव
चुनाव
Mukesh Kumar Sonkar
Loading...