अव्दय
______अव्दय________
गर तेरी मोहब्बत का हमे।
इस जनम सहारा ना मिलता।।
भीड़ भरी इतनी बड़ी दुनिया में।
एक कोने में पडा अव्दय होता।।
बहुत सारे जग में ऐसे है।
कोई ऐसा ना रहे ये चाहता।।
तनहा थे हम दिन और रात।
तेरे प्यार का सहारा ना मिलता।।
सोचते थे जिये तो कैसे जिये।
तुम ना होते मंजिल धूंडता रहता।।
रब जैसा तेरा आना हुआ।
अब सुकून है तनहा नहीं रहता।।
स्वरचित – कृष्णा वाघमारे, जालना, महाराष्ट्र.