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8 Jun 2023 · 1 min read

अवसाद

अवसाद और अवसान के नजदीकी ताल्लुकात हैं,
दोनों का संबंध और सरोकार इन्सान से ही है,
अवसाद जब चरम अवस्था तक पहुंच जाता है, तो,
वह अवसान में तब्दील हो जाता है।
…………….
अवसाद के मूल में है इन्सान की परिस्थितियां,
उसकी कमियां जो दुःख का कारण बनती हैं,
हालात और मंज़र जो उसे अकेला कर देते हैं,
डाक्टरी भाषा में दो शब्द – स्ट्रेस और डिप्रेशन।
………………..
अवसाद हमेशा हानि ही करता है,
इन्सान के भौतिक शरीर को,
अवसान के समीप ले आता है,
शरीर के सच्चे दोस्त किडनी, हार्ट, लंग्स,
सब -के -सब एकदिन एक – एक करके,
जिंदगी से रुखशत हो जाते हैं।
और, इन्सान की दोस्ती होना शुरू होती है,
नाश करने वाले मादकों से,
समय के लिए हानिकारक क्रियाकलापों से,
समय के मिस मैनेजमेंट सिस्टम से।
…………………
इन्सान को आलसी और नाकारा बना देता है अवसाद,
समाज में किसी काम का नहीं रहता है, जो,
होता है अवसादग्रस्त।
तनाव और हिंसा से भी इन्सान की दोस्ती हो जाती है,
उसे नफ़रत हो जाती है रोशनी के बाज़ार से,
दोस्ती हो जाती है अंधेरे के तिलिस्म से,
और जिन्दाजी किसी काम का नहीं रहता है।

घोषणा – उक्त रचना मौलिक अप्रकाशित एवं स्वरचित है। यह रचना पहले फेसबुक पेज या व्हाट्स एप ग्रुप पर प्रकाशित नहीं हुई है।

डॉ प्रवीण ठाकुर
भाषा अधिकारी
निगमित निकाय भारत सरकार
शिमला हिमाचल प्रदेश।

Language: Hindi
444 Views
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