Sahityapedia
Login Create Account
Home
Search
Dashboard
Notifications
Settings
7 May 2023 · 3 min read

अवसाद का इलाज़

डॉ अरुण कुमार शास्त्री – एक अबोध बालक – अरुण अतृप्त

* अवसाद का इलाज़ *

इंसानी जीवन में मात्र एक पक्का भरोसे मंद दोस्त ही होता है हर समस्या का समाधान , तन से मन से धन से जो हमेशा बचपन से साथ होता है जिनका है वो भाग्य शाली हैं और जिनका नहीं वो उसको हरएक में पाने की अथक कोशिश करते नजर आते हैं सदा महिला हो या पुरुष सभी की यही कहानी है । तो मित्रों मेरी मेरी कहानी के शीर्षक के पीछे ऐसा ही एक शख्स छुपा है जिसको हम * दोस्त * नाम से पुकारते हैं ।
रमेश मेरा ऐसा ही मित्र , दोस्त साथी था कक्षा 5 से हम एक ही शहर में रहते थे । जीवन के एक मोड़ पर वो ऐसी पारिवारिक दुविधा में फंस गया कि उसको कुछ समझ नहीं आता था । और वो उसका छुटकारा पाने की इच्छा से नशे की आदत का शिकार हो गया । काम काज के सिलसिले में हम रोज – रोज तो मिल नहीं पाते थे । फिर भी महीने पंद्रह दिन में हम एक दूसरे के घर अवश्य जाते थे साथ – साथ पिक्चर देखना , पिकनिक पे जाना या घर पे ही रात्री भोजन इत्यादि यही हमारी दिन चर्या थी । किसी भी तरह का कोई सामाजिक धार्मिक कृत्य हो हम सपरिवार सब एकत्र होते या जाते थे । समाज में हम राम लक्ष्मण की जोड़ी के नाम से प्रसिद्ध थे । हमारे परिवार के अन्य सभी लोग दूर दराज के शहरों में रहने के कारण हमारा दोस्ती का ये संबंध ही सब कुछ था ।
तो इस बार 15 दिन के बाद मैं जब परिवार सहित रमेश के घर गया तो उसके घर का वातावरण देख अचंभित रह गया । पत्नी को बोला जरा संगीत (रमेश की पत्नी ) से पता कर क्या हुआ । तब तक रमेश नहीं आया था आमतौर पे वो 8 बजे आ जाता था मगर , अब परिस्थिति भिन्न थी । पत्नी ने जब अकेले में संगीत से बात की तो वो फफक – फफक के रोने लागी । फिर सारी कहानी समझ आई । उसका सार ये था । महत्व कांक्षा के चलते , रमेश ने दो साल पहले एक प्राइवेट बैंक से 10 लाख रुपये का ऋण लिया था जिसका भुगतान उसको 2 साल के भीतर ब्याज सहित कर देना था जो हो न सका लोन के बदले रेहन के लिए घर गिरवी रखा था । अब बैंक ने उसके घर की कुर्की का नोटिस भेजा था यदि 10 दिन मे लोन की पूरी रकम नहीं लोटाई तो बैंक घर नीलाम कर के ऋण की अदायगी करेगा । रमेश ने लज्जा के कारण ये बात मुझ से छुपाई । और ना समझदारी के चलते वो उसका हाल नशे में परिवार से दूर रह कर तलाशने लगा – जो की उसकी सबसे बड़ी भूल थी ।
मैंने रमेश को फोन लगाया तो फोन किसी अनजान व्यक्ति जो की बार का संचालक था , ने उठाया बोला के ये साहब बार में नशे की हालत में अर्ध बेहोशी में पड़े हैं ऐसा रोज होता है तो हमने ज्यादा तव्वजों नहीं दी । मैं तुरंत गाड़ी से वहाँ गया और रमेश को लेकर घर आया , सबने मिल कर उसको नहला धुला कर उसके वस्त्र बदले तो वो कुछ होश में आया मुझे पहचान कर माफी मांगने लगा । हम सबने बैठ कर एक साथ भोजन किया । चलते समय मैंने रमेश को बोला यार कल मेरे घर पे आना एक जरूरी काम है वो बोला अच्छा । फिर हम वहाँ से वापिस या गए ।
सुबह 9 बजे जब रमेश मेरे घर आया तो देखा उसकी काया पहले जैसी नहीं रह गई थी मात्र 15 दिन में बीमार – बीमार सा लगने लगा था – आँखों के नीचे स्याह गड्ढे , गले की नसें नजर आने लगी थी । मेरा यार कितना बदल गया था । हम दोनों ने साथ बैठ कर नाश्ता किया फिर हम उसको लेके उसके बैंक गए । बैंक मेनेजर मेरा दोस्त था । उसको मैंने लिखित में रमेश के ऋण की 6 माह में किश्तों में अदायगी का आश्वासन दिया । रमेश चुपचाप देखता रहा । वो मुझे अच्छी तरह से जानता था सो कुछ नहीं बोला। बस मेरे हाथ पकड़ के बैठ गया और आँखों – आँखों से अपनी कृतज्ञता प्रदर्शित करता रहा । फिर कान पकड़ के बोला आज से नशे को मुहँ नहीं लगाऊँगा मेरे यार मुझे माफ कर दे । मैंने चुपचाप उसको सीन से लगा । हमारे साथ – साथ बैंक मैनेजर की आंखे भी भीगने लगी थी फिर मैंने वातावरण को बदलने के लिए बोला यार रस्तोगी ( बैंक मेनेजर ) काफी नहीं पिलाओगे और हम सब जोर – जोर हंसने लगे ।

3 Likes · 489 Views
📢 Stay Updated with Sahityapedia!
Join our official announcements group on WhatsApp to receive all the major updates from Sahityapedia directly on your phone.
Books from DR ARUN KUMAR SHASTRI
View all
You may also like:
सत्य और सत्ता
सत्य और सत्ता
विजय कुमार अग्रवाल
बुंदेली दोहा-सुड़ी (इल्ली)
बुंदेली दोहा-सुड़ी (इल्ली)
राजीव नामदेव 'राना लिधौरी'
*स्वतंत्रता सेनानी श्री शंभू नाथ साइकिल वाले (मृत्यु 21 अक्ट
*स्वतंत्रता सेनानी श्री शंभू नाथ साइकिल वाले (मृत्यु 21 अक्ट
Ravi Prakash
#आज_का_मुक्तक
#आज_का_मुक्तक
*प्रणय*
‘निराला’ का व्यवस्था से विद्रोह
‘निराला’ का व्यवस्था से विद्रोह
कवि रमेशराज
है नसीब अपना अपना-अपना
है नसीब अपना अपना-अपना
VINOD CHAUHAN
दिव्य बोध।
दिव्य बोध।
Pt. Brajesh Kumar Nayak / पं बृजेश कुमार नायक
जो नहीं मुमकिन था, वो इंसान सब करता गया।
जो नहीं मुमकिन था, वो इंसान सब करता गया।
सत्य कुमार प्रेमी
कपड़ों की तरहां मैं, दिलदार बदलता हूँ
कपड़ों की तरहां मैं, दिलदार बदलता हूँ
gurudeenverma198
हर घर एक तिरंगे जैसी
हर घर एक तिरंगे जैसी
surenderpal vaidya
अपनी इच्छाओं में उलझा हुआ मनुष्य ही गरीब होता है, गरीब धोखा
अपनी इच्छाओं में उलझा हुआ मनुष्य ही गरीब होता है, गरीब धोखा
Sanjay ' शून्य'
मूक संवेदना
मूक संवेदना
Buddha Prakash
4123.💐 *पूर्णिका* 💐
4123.💐 *पूर्णिका* 💐
Dr.Khedu Bharti
उम्मीद बाक़ी है
उम्मीद बाक़ी है
Dr. Rajeev Jain
पृथ्वी दिवस पर
पृथ्वी दिवस पर
Mohan Pandey
*संतान सप्तमी*
*संतान सप्तमी*
Shashi kala vyas
ना देखा कोई मुहूर्त,
ना देखा कोई मुहूर्त,
आचार्य वृन्दान्त
वक़्त को वक़्त
वक़्त को वक़्त
Dr fauzia Naseem shad
Dr Arun Kumar shastri
Dr Arun Kumar shastri
DR ARUN KUMAR SHASTRI
,,,,,,
,,,,,,
शेखर सिंह
IWIN iwin89.com | Hệ thống game bài IWINCLUB, web đánh bài I
IWIN iwin89.com | Hệ thống game bài IWINCLUB, web đánh bài I
Iwin89
*साँसों ने तड़फना कब छोड़ा*
*साँसों ने तड़फना कब छोड़ा*
सुखविंद्र सिंह मनसीरत
रोटी
रोटी
Sarla Sarla Singh "Snigdha "
"अगर "
Dr. Kishan tandon kranti
आज के युग में
आज के युग में "प्रेम" और "प्यार" के बीच सूक्ष्म लेकिन गहरा अ
पूर्वार्थ
उम्रभर रोशनी दिया लेकिन,आज दीपक धुआं धुआं हूं मैं।
उम्रभर रोशनी दिया लेकिन,आज दीपक धुआं धुआं हूं मैं।
दीपक झा रुद्रा
शीर्षक:-कृपालु सदा पुरुषोत्तम राम।
शीर्षक:-कृपालु सदा पुरुषोत्तम राम।
Pratibha Pandey
कदम भले थक जाएं,
कदम भले थक जाएं,
Sunil Maheshwari
कभी फौजी भाइयों पर दुश्मनों के
कभी फौजी भाइयों पर दुश्मनों के
ओनिका सेतिया 'अनु '
बस जिंदगी है गुज़र रही है
बस जिंदगी है गुज़र रही है
Manoj Mahato
Loading...