अवसर बादी
अवसर बादी नेता बन गए,पहन पहन कर खादी
कुर्सी के दीवानों ने, सारी शरम गंवा दी
आज इस दल में,कल उस दल में, परिक्रमा कर डाली
जहां दिखा कुर्सी का अवसर, टोपी नई पहन डाली
खाते रहे नमक जिसका,उनको गाली दे डाली
चुनाव का जब ऐलान हुआ, कहां मिलेगा मालपुआ
हाई कमान के भाषण ने, अवसर बादी के दिल को छुआ
डाल दुपट्टा पहुंच गया, फिर स्वागत का दौर हुआ
दम घुट रहा था,उस पार्टी में, मेरी जाति की कदर नहीं करती
उपेक्षित हो गए धर्म संप्रदाय क्षेत्र, किसी का ध्यान नहीं रखती
इसीलिए मैं पास तुम्हारे, पोजीशन छोड़ कर आया हूं
विना शर्त जो आप कहेंगे,सेबा करने आया हूं
हे अवसर बादी नेताओं, इतना मुझे बताना
चुनाव के समय ही क्यों? मिला करता है तुमको नया वहाना
सुरेश कुमार चतुर्वेदी