अवध में फिर से आये राम ।
अवध में फिर से आये राम ।
आज सब हर्षित हैं पुर ग्राम
अवध में फिर से आये राम ।
रहे त्रेता में वनवासी,
तो कलियुग में तम्बूवासी
कभी निश्चर संहारे राम
हरे अब विधि के विघ्न तमाम
आज सब हर्षित हैं पुर ग्राम
अवध में फिर से आये राम ।
घर घर होगी खुशहाली
गीत मंगल गाओ आली
मनेगी फिर से दीवाली
पधारे राम ह्रदय सुखधाम
आज सब हर्षित हैं पुर ग्राम
अवध में फिर से आये राम ।
राम हैं भक्तों के विश्वास,
राम हैं जनजीवन की आस
नाम से बनते बिगड़े काम
राम की लीला ललित ललाम ।
आज सब हर्षित हैं पुर ग्राम
अवध में फिर से आये राम