अवध बिहारी (कविता )
‘श्रीराम’ जी का हम सभी हैं आभारी
मैं ही नहीं, कहती है दुनियां सारी
आपके नाम से ही चलती है आगारी
सन्मार्ग पर हमारे जीवन की गाड़ी ll
चैत्र शुक्ल नवमी तिथि को संयोग से
‘श्रीहरि ‘ पधारें भारत भूमि देवलोक से
बालक रूप में अवध -पुरी के प्रासाद में
पुलकित हुई कौशल्या बारम्बार निहारी ll
चार बालक आए दसरथ के महल में
सम्मुख तीनों माताओं के एक बार में
निःसंतान पाकर संतान अति प्रशन्न हुई
स्वागत -अभिनन्दन की, ली बलिहारी ll
जैसे – जैसे यह सुसमाचार संचारित हुई
जन -मन मुदित हुए, हुए भाव -बिभोर
हो आनंदित, गाए सोहर -बधावा पुरजोर
पुत्र -राजकुमार, पाएं राज का उत्तराधिकारी ll
नामकरन संस्कार में नाम उन्हें ‘राम ‘ मिला
जन -जन को नव जीवन, नव आश मिला
राजगुरु को असुरों से सहज में त्राण मिला
किए कार्य कई कल्याणकारी – हितकारी ll
सबरी को दर्शन दिए. किए सभी सपने पुरे
बैर भी खाए जूठे, आगे की राह भी जाने
अहिल्या – उद्धार किए जनकपुर की राह में
स्वयंवर में सभी पर तुम्ही पड़े थे भारी ll
सब देखते ही रह गए, चकित -आश्चर्य से
धनुष -भंग हुआ, जनक को आया जान
परशुराम रूठ गए, प्रभु को पहचान गए
जानकी /सीता सुकुमारी अब हुई तुम्हारी ll
रघुकुल की रीति -नीति की रक्षा हेतु आपने
वन गमन स्वीकार किया सहर्ष सहजता में
संग हुई सीता, लक्ष्मण ने जाने की जिद ठानी
सुनी नहीं भरत की तर्क, कोई भी लाचारी ll
सीता -हरण कर ले गए दशानन धोखे से
वैदेही थी अकेली जब पर्ण -कुटी में
वन -वन खोजा, लोगों से भी पूछा
कहाँ गई जनक दुलारी, प्यारी हमारी ll
लौटे हनुमान पता लगाकर लंका से
अपनी शक्ति बताकर लंकावासी को
प्रभु की भक्ति ही है कल्याणकारी
नहीं मानी, तो हुई शुरू युद्ध की तैयारी ll
मारा गया दशानन अपना सर्वस्व लुटाकर
गई थी पहले ही उसकी अपनी बुद्धि मारी
देकर विभीषण को राज्य, आए अयोध्या
रुका हुआ रामराज्य अब हुआ संचारी ll
सीता पर जो लगा था कलंक का टीका
लव -कुश ने किया उसे निर्मूल व फीका
समा गई धरती में धरती से आई सीता
आत्म -निर्णय थी पूर्व से सोची विचारी ll
सरयू में समाकर आप गए देव लोक फिर
अपने समस्त सहयोगियों के साथ -साथ
हनुमान को छोड़ गए हमलोगों के साथ
त्रेता से अबतक आरती करते हैं नर-नारी ll
जब -जब होती है धर्म की मान हानि
बढ़ती है दुख, जान मन की मनमानी
तब -तब लेते हैं यहाँ वे नया जन्म
श्रीकृष्ण लिख गए ‘गीता ‘ में विचारी ll
पुनः जन्म लो भारत में हे अवध बिहारी!
भारत को है पूर्व से अधिक जरूरत तुम्हारी
रामराज्य जी कामना करते हैं हम सभी
सुनो! हे राम! ध्यान से आरती -अर्जी हमारी ll
🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🌹🙏🙏🙏🙏🙏🙏
@रचना घनश्याम पोद्दार
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