अल मस्त फकीर
मै तो अल मस्त फकीरा.क्या दुनियाँ से काम रे |
सुबह शाम मै रटते जाऊँ.अपने प्रभु का नाम रे||टेक|
आया जग में पुण्य कमाने बस माया मे खोया ,
बालकपन खेल गंवाया मस्त जवानी मे सोया |
अल्हड़पन मे समय बिताया किया ना कोई काम रे ||
सुबह शाम मै रटते जाऊँ अपने प्रभु का ||1||
समय बीता जाये ऐसे ज्यो मुठ्ठी से निकले रेती ,
जीवन सफल बनेगा तेरा हरि नाम की कर खेती |
सुख दुख दोनों साथ रहेगे समझना हरि प्रसाद रे ||
सुबह शाम मै रटते जाऊँ अपने प्रभु का ||2||
कुछ ना लेकर आया जग में ना कुछ ले जाना है,
अन्त समय कुछ नहीं तेरा आखीर वही ठिकाना है|
जन्म मरण का छूटे बन्धन भजले तू हरि नाम रे ||
सुबह शाम मै रटते जाऊ अपने प्रभु का ||3||
मैं तो अल मस्त फकीरा. क्या दुनिया से काम रे |
सुबह शाम मै रटते जाऊँ अपने प्रभु का नाम रे ||
डॉ पी सी बिसेन .अनजान.
अवधपुरी पवार ले आउट
मोती नगर बालाघाट म.प्र.