अल्फाज़
इश्क की गलियों में तेरे मेरे चर्चे सरेआम
होंगे, अगर यकीन ना हो तो किताब
उठा कर देख लेना, मेरी शायरी के हर
अल्फाज तेरे नाम होंगे।
इश्क की गलियों में तेरे मेरे चर्चे सरेआम
होंगे, अगर यकीन ना हो तो किताब
उठा कर देख लेना, मेरी शायरी के हर
अल्फाज तेरे नाम होंगे।