“अलौकिक पहचान” #100 शब्दों की कहानी#
शुरूआत से शिक्षा दी गई माता-पिता द्वारा सीता-गीता को, चलीं उसी राह, मुश्किलों को पारकर नौकरी की मंजिल पर पहूंचने तक कर दी गई सीता की शादी । बचपन था जहां बीता वह घर पराया हो ससुराल को अपना घर बनाने की मिली सीख को अपनाते हुए नौकरी, मायका, ससुराल और बच्चों की पालनहार बन सुख-दुख संग पति के साथ आगे बढ़ना ही जिम्मेदारी थी उसकी ।
जीवन के संघर्षों में विकट परिस्थितियों ने उसे सोचने को मजबूर किया,जीने-मरने की कगार पर दो पाटों में बंटी ज़िंदगी, लेकिन अब मैं अपनी रूचिअनुसार हिंदी साहित्य-लेखन में अवश्य ही बनाऊंगी अलौकिक पहचान।