अलार्म
टिक-टिक घड़ी में एक समय अलार्म का भी होता है,
जो जिंदगी के मील के पत्थर के बारे में बतलाता है,
तैयार करता है जीवन को लक्ष्यों के प्रति,
और तय किए जाते हैं जीवन के उद्देश्य।
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अलार्म का सभी के जीवन में अलग-अलग महत्व है,
शिशु या बालक के चरित्र निर्माण में
सहायता करता है घड़ी का अलार्म,
एक आदर्श व्यक्तित्व का निर्माण करता है अलार्म,
फौजी के जीवन में
अनुशासन निर्धारित करता है अलार्म।
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खतरे की घंटी बनकर आता है घड़ी का अलार्म,
मंगलगान की सूचना देता है घड़ी का अलार्म,
ज़िंदगी में चलते ही चले जाना है,
संदेश देता है घड़ी का अलार्म।
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जीवन का निर्धारण नहीं कर पाता वह प्राणी,
जो अनुसरण नहीं करता घड़ी के अलार्म का,
जीवन दुःख में कटता है उसका,
जो पकड़ नहीं पाता समय की गति को,
अक्सर पिछड़ जाता है वह प्रतिस्पर्धा की दौड़ में,
जो सेट नहीं कर पाता घड़ी के अलार्म को,
और जीवन भर कोसता रहता है अपने आप को कि,
काश पकड़ पाता समय से वक्त की रफ्तार को, तो,
आज नाम होता सफल व्यक्तित्व में उसका भी।
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घड़ी का अलार्म ब्रह्ममुहूर्त का अलर्ट भी है,
जो अलर्ट करता है प्राणी को , कि,
अब रात्रि बेला समाप्त हो गई है,
अपनी दिनचर्या आरंभ कर दे,
अपने ईश को न भूल,
उनको याद करते हुए दिन की शुरुआत कर।
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डॉ प्रवीण ठाकुर
भाषा अधिकारी
निगमित निकाय भारत सरकार
शिमला हिमाचल प्रदेश।