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22 Nov 2017 · 1 min read

अलसुबह

अलसुबह
मैं फिनिक्स बनकर
उठ खड़ा होता हूँ
अपने अस्तित्व को
निखारने के लिए !

दिनभर जद्दोजहद में
लगे रहते हैं मेरे ही
चाहने वाले मुझे
गिराने के लिए !

– पंकज त्रिवेदी

Language: Hindi
1 Comment · 504 Views

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