अलसुबह
अलसुबह
मैं फिनिक्स बनकर
उठ खड़ा होता हूँ
अपने अस्तित्व को
निखारने के लिए !
दिनभर जद्दोजहद में
लगे रहते हैं मेरे ही
चाहने वाले मुझे
गिराने के लिए !
– पंकज त्रिवेदी
अलसुबह
मैं फिनिक्स बनकर
उठ खड़ा होता हूँ
अपने अस्तित्व को
निखारने के लिए !
दिनभर जद्दोजहद में
लगे रहते हैं मेरे ही
चाहने वाले मुझे
गिराने के लिए !
– पंकज त्रिवेदी