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12 Dec 2020 · 1 min read

अलसाई हूँ

अलसाई हूँ मन को भाती हूँ , मस्ती लेकर आयी हूँ
चित्रकार ने उठा तूलिका को , छवि अनूठी बनायी है

नख से ले सिर तक सौन्दर्य , रेखा से रेखित होता है ,
नैन में तैरता कौमार्य , बहु कलर शोभित होता है

नटखट है मेरे हाव भाव , देख तुम मुस्करा जाते
इन्द्रधनुषी कलर बिखेरती, लाल चूनर उडा जाते

सावन की हरियाली दिखती , मन का पपिहा शोर करे
पहली बारिश बन बरसे जब , पिपासा तब मेरी बुझे

Language: Hindi
72 Likes · 403 Views
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