अलविदा
अधूरा हूँ मैं,अधूरी है जवानी,
जिन्दा हूँ मैं,कम है जिंदगानी
अभी क़त्ल हुआ,बनी एक नई कहानी
सुबह की किरण,रातों का तारा,
नयन में आंसू लिए मुस्कुरा रहा है दोस्त हमारा
भुला पायें नही उन्हें,जिन्हें दिल तोडने का शौक हैं
गम पिया जाये नही,जिस दिल में तुम्हारी प्यारी यादें है
मैं विद्यालय से निकला तब,जब अकेला था
दोस्त का कब साथ,अपना गुजारने का वक़्त था
हो गया दुखी ह्रदय अनोखा,
न जाने अनोखा-सा क्यों हुआ धोका
सपना टूटा आइने के लाख कण से,
बस यूँ साथ छुटा इस जाहा के डर से
मत निकल आंसू इस नयनो से,
तूने क्या गुन्हा किया है,
अलविदा मेरे हमसफ़र,एक दिन यही कहना पड़ता है
या कहो तुम,यही दोस्ती का अंतिम शब्द(पल) होता हैं |
-ऋषि के.सी.
“कभी अलविदा ना कहना”