Sahityapedia
Login Create Account
Home
Search
Dashboard
Notifications
Settings
1 Jan 2021 · 1 min read

अलविदा 2020

स्वरचित
अलविदा 2020

कर लेते हैं तय कुछ नए मकसद ज़िन्दगी के,
न भेद पाये जो निशाने अब वो पीछे छोड़ देते हैं…

देर से ही सही पर दस्तूरे जहां समझ लिया हमने,
अब तक तो चले पर अब राहे वफा को मोड़ देते हैं…

वफ़ा दोस्ती रिश्ते मुहब्बत और जमीर सब बेमानी हैं,
निभाना भी नहीं मुनासिब जिनको वो वादे तोड़ देते हैं…

ऐ जिंदगी तेरा ये फ़लसफ़ा बहुत देर से समझ आया,
तुझे बस नेक दिल ही क्यों जिए बिन छोड़ देते हैं…

भारत बेवफाई बेईमानी बदजुबानी को जायज करदें,
साल 2020 पर मनहूसियत का ठीकरा फोड़ देते हैं…

भारतेन्द्र शर्मा

7 Likes · 4 Comments · 344 Views
📢 Stay Updated with Sahityapedia!
Join our official announcements group on WhatsApp to receive all the major updates from Sahityapedia directly on your phone.
You may also like:
भरत मिलाप
भरत मिलाप
अटल मुरादाबादी, ओज व व्यंग कवि
दीपोत्सव की हार्दिक बधाई एवं शुभ मंगलकामनाएं
दीपोत्सव की हार्दिक बधाई एवं शुभ मंगलकामनाएं
लोकेश शर्मा 'अवस्थी'
तेरी जुस्तुजू
तेरी जुस्तुजू
Shyam Sundar Subramanian
वेद प्रताप वैदिक को शब्द श्रद्धांजलि
वेद प्रताप वैदिक को शब्द श्रद्धांजलि
Dr Manju Saini
Ranjeet Kumar Shukla
Ranjeet Kumar Shukla
Ranjeet kumar Shukla
ग़ज़ल
ग़ज़ल
डॉ सगीर अहमद सिद्दीकी Dr SAGHEER AHMAD
*आस्था*
*आस्था*
Dushyant Kumar
3230.*पूर्णिका*
3230.*पूर्णिका*
Dr.Khedu Bharti
है अभी भी वक़्त प्यारे, मैं भी सोचूंँ तू भी सोच
है अभी भी वक़्त प्यारे, मैं भी सोचूंँ तू भी सोच
Sarfaraz Ahmed Aasee
डॉ अरुण कुमार शास्त्री
डॉ अरुण कुमार शास्त्री
DR ARUN KUMAR SHASTRI
मतदान और मतदाता
मतदान और मतदाता
विजय कुमार अग्रवाल
कवियों का अपना गम...
कवियों का अपना गम...
goutam shaw
ਮੁੜ ਆ ਸੱਜਣਾ
ਮੁੜ ਆ ਸੱਜਣਾ
Surinder blackpen
কেণো তুমি অবহেলনা করো
কেণো তুমি অবহেলনা করো
DrLakshman Jha Parimal
जवाब दो हम सवाल देंगे।
जवाब दो हम सवाल देंगे।
सत्य कुमार प्रेमी
जितने चंचल है कान्हा
जितने चंचल है कान्हा
Harminder Kaur
*प्लीज और सॉरी की महिमा {हास्य-व्यंग्य}*
*प्लीज और सॉरी की महिमा {हास्य-व्यंग्य}*
Ravi Prakash
गीतिका ******* आधार छंद - मंगलमाया
गीतिका ******* आधार छंद - मंगलमाया
Alka Gupta
पूर्ण-अपूर्ण
पूर्ण-अपूर्ण
Srishty Bansal
आसानी से कोई चीज मिल जाएं
आसानी से कोई चीज मिल जाएं
शेखर सिंह
मां आई
मां आई
ब्रजनंदन कुमार 'विमल'
■ प्रबुद्धों_के_लिए
■ प्रबुद्धों_के_लिए
*Author प्रणय प्रभात*
मेरे मुक्तक
मेरे मुक्तक
निरंजन कुमार तिलक 'अंकुर'
अक्सर लोग सोचते हैं,
अक्सर लोग सोचते हैं,
करन ''केसरा''
ଭୋକର ଭୂଗୋଳ
ଭୋକର ଭୂଗୋଳ
Bidyadhar Mantry
ख़ामोश हर ज़ुबाँ पर
ख़ामोश हर ज़ुबाँ पर
Dr fauzia Naseem shad
चोर कौन
चोर कौन
Dr. Pradeep Kumar Sharma
झूठ भी कितना अजीब है,
झूठ भी कितना अजीब है,
नेताम आर सी
पहाड़ों की हंसी ठिठोली
पहाड़ों की हंसी ठिठोली
Shankar N aanjna
" गुरु का पर, सम्मान वही है ! "
Saransh Singh 'Priyam'
Loading...