अलविदा 2020
स्वरचित
अलविदा 2020
कर लेते हैं तय कुछ नए मकसद ज़िन्दगी के,
न भेद पाये जो निशाने अब वो पीछे छोड़ देते हैं…
देर से ही सही पर दस्तूरे जहां समझ लिया हमने,
अब तक तो चले पर अब राहे वफा को मोड़ देते हैं…
वफ़ा दोस्ती रिश्ते मुहब्बत और जमीर सब बेमानी हैं,
निभाना भी नहीं मुनासिब जिनको वो वादे तोड़ देते हैं…
ऐ जिंदगी तेरा ये फ़लसफ़ा बहुत देर से समझ आया,
तुझे बस नेक दिल ही क्यों जिए बिन छोड़ देते हैं…
भारत बेवफाई बेईमानी बदजुबानी को जायज करदें,
साल 2020 पर मनहूसियत का ठीकरा फोड़ देते हैं…
भारतेन्द्र शर्मा