अलविदा
मौत को हम गले से लगाकर चले ।
कुछ तो पाकर चले कुछ लुटाकर चले ।।
हो चले अलविदा हम वतन के लिए ।
दीप खुशियों के घर घर जलाकर चले ।।
© डॉ० प्रतिभा ‘माही’
मौत को हम गले से लगाकर चले ।
कुछ तो पाकर चले कुछ लुटाकर चले ।।
हो चले अलविदा हम वतन के लिए ।
दीप खुशियों के घर घर जलाकर चले ।।
© डॉ० प्रतिभा ‘माही’