अलविदा दो हजार बीस
**** अलविदा दो हजार बीस ****
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अलविदा हुआ साल दो हजार बीस
कोरोना की मन में छोड़ है गया टीस
आगमन पर हर्षोल्लास से दी बधाई
खुशियों भरा होगा ये दो हजार बीस
कोरोना बन गई विश्वव्यापी बीमारी
जगत को एक झटके से दिया पीस
सिने हस्ती या कोई कितना मशहूर
अमीर गरीब सब चक्की में गए पीस
जिन्होंने ने दिया अपनों को हो खो
उनके लिए दुखदायी रहा वर्ष बीस
जो जन भूल गए निजता के बीज
कोरोना ने सीखा दी प्रीत की चीस
जनता ने खूब बजाई ताली थाली
जन मन में रह गई स्नेह की खीस
मंहगाई की मार ने सब को रुलाया
नहीं काम आई किसी की आशीष
कृषि कानून बन गए गले की फांस
किसान सड़क पर ठिठुरते हैं शीश
कोरोना यूँ का यूँ पद पर पदासीन
दुआएँ विफल क्या करे जगदीश
विश्वव्यापी आर्थिक मंदी में संसार
बेरोजगारी से बचा ना सका हरीश
जीव जंतु पशु पक्षी खुशी में झूमें
प्रदूषण मुक्त पर्यावरण है बख्शीश
मनसीरत सीखा गया प्रकृति साथ
सीखा गया जीवनमूल्य साल बीस
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सुखविंद्र सिंह मनसीरत
खेड़ी राओ वाली (कैथल)