अलमारी में पुस्तक (कुंडलिया)
अलमारी में पुस्तक (कुंडलिया)
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अलमारी में है सजी ,पढ़ता पुस्तक कौन
व्यथा निजी बतला रही ,पुस्तक होकर मौन
पुस्तक होकर मौन ,नहीं खोली मैं जाती
पढ़ने की शुभ आस ,पूर्ण कब होने पाती
कहते रवि कविराय ,यही दुख सबसे भारी
आकर्षक है जेल , नाम उसका अलमारी
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रचयिता : रवि प्रकाश ,बाजार सर्राफा
रामपुर (उत्तर प्रदेश)
मोबाइल 99976 15451