अलगाव-मजबूरी से दूरी बेहतर।
अलगाव, इस शब्द का मतलब ये बिल्कुल नहीं की आप लोगों से मुंह मोड़ लें या विमुख हो जाएं, इसका मतलब ये है कि आपकी तरफ से आप दूसरों को ये आज़ादी दें कि वे जैसे हैं वैसे रहें और आप भी अपना जीवन अपने अनुसार व्यतीत करें।
समय-समय पर समय हमें ये बताता है कि यहां कुछ भी स्थायी नहीं फिर क्यों किसी को गलत या ख़ुद को सही साबित करने की ज़रूरत महसूस होने लगती है कम से कम अंदाज़ तो जीने का कुछ ऐसा होना चाहिए कि ना आप किसी को नज़रअंदाज कीजिए और ना ही ख़ुद को नज़रअंदाज करने का मौका दीजिए।
ऐसा तभी संभव है जब नियमित दूरी हो हर रिश्ते के बीच,ना ख़ुद कोई शिकवा कीजिए ना ही किसी से सवाल कीजिए लंबे अंतराल के बाद मिलें भी तो करने को कोई ख़ास बात ना हो तो बस थोड़ा हंसी-मज़ाक और फिर दूरी,विश्वास कीजिए कि रिश्तों में मजबूरी से कहीं बेहतर है दूरी ।
बाकी सब समय पर छोड़ दीजिए जिसका जितना साथ होगा वह मिलेगा ही बस ख़्याल रहे कि आप स्वयं किसी ऐसे रिश्ते से ना जुड़ें जो आपके लिए रुकावट या दीवार बने,विवाद से बेहतर है कि संवाद कम कर दिया जाए।
-अंबर श्रीवास्तव