अर्पित है
मन समर्पित है मन अर्पित है .
लिखने को एक नई मधुशाला.
साकी कैसे कैसे लिखूं मै तू.
बतलाना मुझको आज फिर तू.
एक रहस्य नया उडेल दू मै.
बनाने मे मृदु मधुशाला को मै.
घोट घोट कर मधुर मधु उडेला.
प्रेम कशिशता चाह उडेली मैने.
आज पूरी ना कर सकी मै शाला.
भाव वेग विशाल है फिर कैसे मै.
करू पूरी इस मधुशाला को मै.
प्रयासरत समर्पित हूँ पूरी करने को.
डॉ मधु त्रिवेदी