अर्धनारीश्वर
संगम
अलौकिक शक्ति शक्तिमान
अर्धनारीश्वर रूप में विधमान
अद्भुत अनूप अनूठा हे रूप
समस्त जगत है जो जो भूप
अवनि से अम्बर को बांधता
जड़ चेतन का संगम दिखता
मोहनी जिसकी सोहै आपार
वही हम सबका पालनहार
कान्हा की शक्ति है जो राधे
राधा के बिन है कान्हा आधे
नर नारी में है शक्ति शक्तिमान
जो जागृत करते अभिमान
एक बाँधे समूचे संसार को
दूसरा है स्रोत आहार विहार
साँसो का कहलाता है दाता
श्वास से चर अचर संगम भाता