अर्थी-सच्चे प्रेमी की
जिस दिन उठेगी तेरी डोली,किसी और के घर;
उस दिन इस मजनू की अर्थी उठेगी;
फूल तुझ पर भी लोग बरसाएंगे;
फूल मुझ पर भी लोग बरसाएंगे;
अंतर सिर्फ इतना होगा सनम,तू सजेगी,मैं सजाया जाऊँगा।
तू भी अपने घर को जायेगी;
मैं भी अपने घर को जाऊँगा;
अंतर सिर्फ इतना होगा सनम,तू राज़ी से जायेगी,मैं बेराज़ी
जाऊँगा।
लोग वहां भी होंगे;
लोग यहाँ भी होगें;
अंतर सिर्फ इतना होगा सनम,वहाँ हँसना होगा,यहाँ रोना होगा।
सात फेरे वहाँ भी होगें;
सात फेरे यहाँ भी होंगे;
अंतर सिर्फ इतना होगा सनम,तुझे अपनाया जायेगा,मुझे
जलाया जायेगा।
रचयिता-कवि कुलदीप प्रकाश शर्मा”दीपक”
मो.नं.-9628368094,7985502377