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17 Sep 2018 · 1 min read

अर्थव्यवस्था

अर्थव्यवस्था
न मैं लीडर हूँ, न प्लीडर हूँ
और न एक्टर हूँ।
अलबत्ता अपने आप में
एक कैरेक्टर हूँ।
फिर भी एक दफे
इंटरव्यू के लिए बुलाया
अख़बार नवीसों ने
लगे पूछने एक साथ
सभी चौसठ अड़तीसों ने
देश की अर्थव्यवस्था पर आपका कमेंट
देश की अर्थ-व्यवस्था?
अर्थ तो समर्थ
और व्यवस्था एक्सीलेंट है
आखिर उत्तम मार्के का
बेहतरीन गारे के साथ प्रयुक्त सीमेंट है
कमजोर कैसे हो सकती है
गारा का हो गया बँटवारा
क्या करे सीमेंट बेचारा।
सरिये में भी लग गया जंग
चूना ही बस दिखा रहा रंग।
चूना पोत रहे सब कर्ता धर्ता
और समर्थ बन गए अपहर्ता।
सब्ज़बाग से मुदित अकारण
दिवास्वप्न देख रहा सर्व-साधारण।
-©नवल किशोर सिंह

Language: Hindi
1 Like · 266 Views
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