अर्जक
रह लेता बिन राम,
रहमान बिन,
वे साकार हैं, मूर्त,
तलाश मेरी,
उस अमूर्त निराकार
जो धड़कन है,
स्व-सत्ता खुद ही पास,
वह खिलता है,
वह सृजन है, वह पालक,
वह चेतन है,
सत्य वही, वही घटक,
घटना वही, काल खण्ड सही,
जो दिया, वही लौट कर आता,
कहते लोग उसे विधाता,
चूक यही पर हो गई,
बात बनते बनते बिगड़ गई.