अर्चना मेरी है तू
21-06-2016
सांसों में बसी है तू
ज़िन्दगी बनी है तू
तुझसे कैसे हूँ जुदा
दिल की आशिकी है तू
चाहें सब कहे गलत
मैं कहूँ सही है तू
मेरे सब सवालों का
बस जवाब ही है तू
डर नहीं अँधेरों का
मेरी रौशनी है तू
साये की तरह सदा
मेरे सँग चली है तू
भीगता रहे ये मन
सावनी झड़ी है तू
तुझमे ही दिखे खुदा
‘अर्चना’ मेरी है तू
डॉ अर्चना गुप्ता