अर्कान – फाइलातुन फ़इलातुन फैलुन / फ़अलुन बह्र – रमल मुसद्दस मख़्बून महज़ूफ़ो मक़़्तअ
#मतला
इक तेरी याद भुलाई न गयी।
दास्तां दिल की सुनाई न गयी।
#हुस्न-ए-मतला
बात बिगड़ी थी बनाई न गयी ।
नफ़रतें दिल से मिटाई न गयी।
#शेर
तुहमतें खूब लगाई उसनें
यार हमसे दी सफ़ाई न गयी ।
#शेर
क्यों हो नाराज़ हुआ है कुछ तो,
शिकन माथे से मिटाई न गयी।
#शेर
इश्क़ तो आग का दरिया है जी,
ये किसी शय से बुझाई न गयी।
#गिरह
बात बिगड़ी थी संभल भी जाती,
बात बाकद्र चलायी न गयी।
#मक़्ता
इक क़यामत है इश्क़ तो ‘नीलम’
जो ख़ुदा से भी उठाई न गयी।
नीलम शर्मा ✍️