अरे सुन जिंदगी ले जाएगी कहाँ
अरे सुन जिंदगी ले जाएगी कहाँ
मैं खुश हूँ मैं चुप हूँ
बहकाएगी कहाँ
मैने सब को सिद्दत से चाहा है
रिश्तों को मैने बखुबी निभाया है
मैं खुश हूँ मैं चुप हूँ
मैं अलग सोचता हूँ जानता हूँ मैं
काम वही करता हूँ जो ठानता हूँ मैं
मैं खुश हूँ मैं चुप हूँ
हंसता हूँ आज कोई गम नहीं है
खुशियाँ मेरे दामन में कम नहीं है
मैं खुश हूँ मैं चुप हूँ
मानता हूँ देह मेरी राख होनी है
जन्नत सी ये दुनिया खाक होनी है
मैं खुश हूँ मैं चुप हूँ
‘V9द’ माना ये झोली खाली है
मायूस नही मेरी हर वक्त दिवाली है
मैं खुश हूँ मैं चुप हूँ
स्वरचित
V9द चौहान