अरे यार तू जा जहाँ जाना चाहती है जा,
अरे यार तू जा जहाँ जाना चाहती है जा,
मैं खुद को बदनाम कर लूँगा,बर्बाद कर लूँगा,
पर तुझे बदनाम होने नहीं दूँगा ।
प्यार क्या होता है, ये तुम्हें क्या पता,
कैसे पता होगा, जब तूने कभी किसी से किया ही नहीं ।
प्यार तो मैंने किया है तुझसे, उनसे, खुद से, इन सबसे,
लेकिन मुझे क्या पता था कि ये मेरा एकतरफा प्यार है ।
लेकिन जा वचन है मेरा तुझसे,
मैं तेरा नाम खराब होने नहीं दूँगा, नहीं होने दूँगा जा ।।
लेखक :- डॉ० मनमोहन कृष्ण
तारीख :- 05/07/2024
समय :- 08 : 42 (सुबह)