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24 Aug 2024 · 1 min read

अरे कुछ हो न हो पर मुझको कोई बात लगती है।

मुक्तक- विनेश फोगाट पर

अरे कुछ हो न हो पर मुझको कोई बात लगती है।
भले सब कुछ दिखाई दे अंधेरी रात लगती है।
मिली जो वेदना है अश्रु झर झर झर रहे हैं झर,
चाहे कितना भी सूखा हो मुझे बरसात लगती है।

……..✍️ सत्य कुमार प्रेमी

Language: Hindi
90 Views
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