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31 Aug 2023 · 1 min read

अरमान

उन्वान – ” अरमान ”

मिरे अरमानों को फ़िर क्यूँ हवा दी तुमने ।
इज़हार ए मुहब्बत में देर लगा दी तुमने ।।

मिरी तस्वीर… तुम्हारे हाथों में थी यारां ।
जलाकर क्यूँ उसे ख़ुद को सज़ा दी तुमने ।।

कुछ राज़ ज़रूरी थे…. मुहब्बत में लेकिन ।
बातें वही राज़ की… सबको बता दी तुमने ।।

तवील सफ़र है चाहत और ए’तिमाद का ये ।
निशानियां रास्तों की ख़ुद ही मिटा दी तुमने ।।

“वासिफ़” सुनाना चाहते थे दास्तां ज़माने को ।
ख़बर ये अफ़वाह……………..बना दी तुमने ।।

©डॉ वासिफ़ काज़ी , इंदौर
©काज़ी की कलम

Language: Hindi
1 Like · 1351 Views
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