अरमान
तुम अग्नि में जलती
मैं जल बन जाता
तुम काँटों में फसती
मैं सुमन बन जाता
तुम तम की प्रतीक्षा करती
मैं चन्द्रमा बन जाता
तुम सूर्योदय जो चाहती
मै दिनकर बन जाता
तूम धूप मे अगर तपती
मैं ठण्डी छाँव बन जाता
तुम कभी राह भटकती
तो मै राह बन.जाता
तुम अगर फूल जो बनती
तो मैं महक बन जाता
तुम अगर चाँद बनती
मै निशा बन जाता
तुम अगर नींद मे होती
मैं स्वपन बन जाता
तुम बात अगर बनती
मैं जज्बात बन जाता
तुम जो जीवन होती
मै तेरी सांस बन जाता
तुम अगर दिल रखती
मै तेरा अरमान बन जाता
तुम होती कोई बीमारी
मै तेरी दवाई बन.जाता
तुम अगर.मेघ बनती
मै बरसात बन जाता
तुम अगर जीवन बनती
जीवन आधार बन जाता
तुम बनती दीपक अगर
मै दीपक बाती बन जाता
सुखविंद्र सिंह मनसीरत