अरमानों की बात न पूछो ।
अरमानों की बात न पूछो ।
अरमानो की बात न पूछो
जज़्बातों की बस्ती में
हमने सौ सौ रंज उठाये
हंसकर पूरी मस्ती में ।
जिसपे गुजरी वो ही जाने
कुछ भी कहना मुश्किल है
एक भंवर ने नाव डुवो दी
छेद नहीं था कश्ती में ।
अरमानो की बात न पूछो
जज़्बातोंकी बस्ती में ******
एक शून्य का होता हरदम
केवल छोटा मान नहीं
छोटी चीज़ों से लग जाते
चार चाँद हैं हस्ती में ।
अरमानों की बात न पूछो
जज़्बातोंकी बस्ती में
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अनुराग दीक्षित