“मैं ही हिंदी हूं”
मैं विश्व का जन प्रतिनिधि।
भारत का गौरव गान हूं।
हर धड़कन में बसने वाली।
मैं ही तो हिंदुस्तान हूं ।1
मैं हूं सकल संपदा, निधि
मैं ही तो ज्ञान- विज्ञान हूं।
मैं हूं हिंद की मर्यादा।
भारत का समुचित परिधान हूं।2
मैं हूं हिंद सागर की लहरें।
संस्कृति, सभ्यता का परिमाण हूं।
हिमगिरि के शीश सुशोभित।
राष्ट्रध्वज का अद्भुत शान हूं।3
युगों-युगों का भान हूं।
हर मुश्किल का समाधान हूं।
अशोक चक्र बीच ध्वजा विराजे।
विजय पथ का स्वाभिमान हूं।।4
हिंदी ,अंग्रेजी, उर्दू, फ़ारसी।
प्रत्येक भाषा का ज्ञान हूं।
मैं ही हूं भाग्य विधाता।
सूर, तुलसी, रसखान हूं।।5
राकेश चौरसिया