अयोध्या : एक परिचय
अयोध्या इस समय भारत ही नहीं विश्वस्तर पर चर्चा में है. अयोध्या के इतिहास में 5 अगस्त 2020 एक नया अध्याय लिखने जा रहा है. राम मंदिर निर्माण के लिए इसदिन होने वाले भूमि पूजन के साथ ही एक लम्बी प्रतीक्षा का फल मिलने को लेकर कोरोना के संकट में भी उत्साह है. यही भारत की विशेषता है जो अन्य देशों से इसे अलग करता है. हम संकट में भी उत्सव मनाने की शक्ति रखते हैं. रामजन्मभूमि में विराजमान रामलला के भव्य मंदिर निर्माण के लिए भूमि पूजन के अवसर पर देशव्यापी दीवाली मनाने की तैयारी है. पूरा अयोध्या उत्साह में है. रामराज्य की कल्पना से वातावरण सुगन्धित हो गया है. वर्षों से गढ़े जा रहे पत्थर जीवंत हो उठे हैं. सरयू नदी अपने भाग्य पर इतरा रही है. अयोध्या इसी सरयू नदी के किनारे तो बसा है. इस नगरी को भगवान श्रीराम का जन्मस्थली होने की मान्यता प्राप्त है. प्राचीनकाल में शक्तिशाली हिन्दू राजाओं की यह राजधानी थी. त्रेतायुगीन सूर्यवंशीय नरेशों की राजधानी रही अयोध्या पुरातात्विक एवं ऐतिहासिक दृष्टि से अत्यधिक महत्व रखती है. एक जनश्रुति के अनुसार महात्मा बुद्ध ने भी अपने जीवन की सोलह ग्रीष्म ऋतुएं साकेत में व्यतीत की थीं. चीनी यात्री फाह्यान एवं ह्वेनसांग ने भी अपने यात्रा वृत्तान्तों में इस नगरी का उल्लेख किया है. पुष्यमित्र शुंग के शिलालेख खुदाई में यहाँ मिले हैं. इस नगरी के अनेक स्थल श्रीराम, सीता व दशरथ से सम्बद्ध बताए जाते हैं. यह भारत के सप्तमहापुरियों में से एक है. अयोध्या के प्रमुख पर्यटक व आकर्षक स्थल हैं –
• श्रीराम जन्मभूमि- अयोध्या में राम का जन्म हुआ था यह प्रमाणिक हो चुका है. विवाद पर विराम लग चुका है. मान्यता है कि श्रीराम जन्मभूमि का अन्वेषण राजा विक्रमादित्य ने किया था. चैत्रमास की रामनवमी को श्रीराम के जन्मोत्सव के अवसर पर देश-विदेश से लाखों श्रद्धालु यहाँ प्रतिवर्ष आते हैं.
• कनक भवन- कनक भवन श्रीराम जन्मभूमि के उत्तर पूर्व में स्थित है. ऐसी कथा प्रचलित है कि जब जानकी विवाह के पश्चात् अयोध्या आयीं तो महारानी कैकेयी ने कनक निर्मित अपना महल उनको प्रथम भेंट स्वरूप प्रदान किया था. महाराजा विक्रमादित्य ने इसका पुनर्निर्माण करवाया था.
• हनुमानगढ़ी- हनुमानगढ़ी का वर्तमान मन्दिर राजा टिकैतराय के नवाब मंसूर अली ने बनवाया था. मन्दिर में हनुमान जी की मूर्ति माता अंजनी की गोद में स्थापित है, जो स्वर्ण निर्मित है. ऊँचे स्थान पर स्थित इस मन्दिर तक 76 सीढ़ियाँ चढ़कर पहुँचा जाता है.
• मणि पर्वत- ऐसा विश्वास किया जाता है कि हिमालय से संजीवनी बूटी के पर्वतखण्ड को लेकर लंका जाते हुए हनुमान जी ने पर्वतखण्ड को रखकर यहाँ विश्राम किया था. बौद्ध जनश्रुति के अनुसार महात्मा बुद्ध ने इसी स्थान पर छह वर्षों तक कठिन तप किया था.
उपर्युक्त स्थलों के अतिरिक्त अयोध्या में ब्रह्म-कुण्ड, तुलसी चौरा, रामघाट, कौशल्या भवन, सीता रसोई, सीताकूप, कैकेयी भवन, लव-कुश मन्दिर, लक्ष्मण किला आदि दर्शनीय हैं.
अयोध्या के समीपवर्ती तीर्थ हैं- 1. मखौड़ा (मख भूमि) 2. नन्दिग्राम (भरतकुण्ड) 3. सूकर खेत (गोण्डा) 4. श्रृंगी ऋषि आश्रम 5. बालार्क तीर्थ (सूर्य कुण्ड)
अयोध्या की परिक्रमाएं भी कम महत्वपूर्ण नहीं हैं. प्रमुख परिक्रमाएं:
• चैरासी कोसी परिक्रमा- चैत्र शुक्ल रामनवमी को प्रारम्भ
• चौदह कोसी परिक्रमा- कार्तिक शुक्ल नवमी या अक्षय नवमी पर
• पंचकोसी परिक्रमा- कार्तिक एकादशी को
• अन्र्तगृही परिक्रमा- नित्य प्रति
अयोध्या के प्रमुख मेले हैं- चैत्र रामनवमी, सावन झूला मेला, कार्तिक पूर्णिमा, श्रीराम विवाहोत्सव, रामायण मेला, भरत कुण्ड मेला, सूकर क्षेत्र का मेला, मखभूमि या मखौड़ा का मेला, गुप्तार घाट का मेला, बालर्क तीर्थ का मेला आदि.