अम्मा/मम्मा
ऋषि और श्रीसंत दोनों की जोड़ी स्कूल में मशहूर थी। जब भी एक को बुलाना होता या ढूंढना होता तो सब जानते थे, कि एक साथ ही होंगे। और कहते अरे दोनों संत महात्मा कहां है? संत महात्मा इसी तरह उन्हें बुलाया जाता, दोनों एक दूसरे के जिगरी दोस्त। दोनों के ही पिता सेना में थे, शुरु शुरु में तो स्कूल में थोड़ा अजनबी पर लगा लेकिन धीरे-धीरे जैसा कि होता है उन दोनों बच्चों में भी दोस्ती हो गई। ऋषि की मां हमेशा उसे समझा कर भी भेजती, बेटा अपना टिफिन शेयर किया करो, दूसरों को दिया करो तो तुम्हारी दोस्ती हो जाएगी और बच्चों से। लेकिन ऋषि को हमेशा शर्म आती अपना टिफिन शेयर करने में, क्योंकि श्रीसंत हमेशा ही केक पेस्ट्री और नई नई तरह की चीजें बिस्किट्स चिप्स लेकर आता और उसकी मां हमेशा ही बस पराठा और सब्जी बना कर रख देती। जिसे शेयर करने करने में झिझक महसूस होती और वह पीछे हट जाता। लेकिन मां के बार बार कहने पर एक दिन उसने अपने दोस्त को अपना टिफन शेयर किया, तो श्रीसंत को उसके आलू की सब्जी और परांठा बहुत ही स्वादिष्ट लगा। और उसने अगले दिन की अपनी फरमाइश कर दी। दोनों को मजा आने लगा, साथ पढ़ाई साथ खेलकूद सब कुछ अच्छा। ऋषि अपनी मां से छोले बनवा कर लाता, कभी अचार, कभी आलू की कचौरी, लेकर आता। इस तरह से उन दोनों में खूब गहरी दोस्ती होती ही गई। एक दिन ऐसे ही श्रीसंत की मां स्कूल पेरेंट्स मीटिंग में आ रही थी तो आते हुए ऋषि की मां को भी साथ ले आई तो उसे तो उसने श्रीसंत की मम्मा को देखा और वह देखता ही रह गया कितनी सुंदर है इसकी मम्मा और कितना सलीके से बोलती हैं। कितनी प्यारी लगती है वह तो बस उनको देखता ही रहा, तब उसने अपनी अम्मा को देखा। अम्मा भी ना क्या आने की जरूरत थी मना नहीं कर सकती थीं। कोई क्या सोचेगा श्रीसंत की मम्मा कितनी प्यारी अंग्रेजी में गिटपिट करती हुई पिक्चरों जैसी हीरोइन लगती, और कहां अम्मा बिल्कुल सलीका नहीं है, वह उदास हो गया। घर आकर मां से बोला मां! आप मेरे स्कूल मत आया करो, आपको पता भी है आप कैसी लग रही थीं, आप ने श्रीसंत की मम्मा देखी कितनी प्यारी लगती है।दूसरे दिन भगवान के सामने खड़े होकर कहने लगा, भगवान जी मेरी अम्मा को भी श्रीसंत की मम्मा जैसा बना दो ना।बस हर वक्त यही सोचता काश मेरी अम्मा भी ऐसी ही होती और मेरे से ऐसे ही अंग्रेजी में बात करती तो कितना अच्छा होता। वह भी अपनी अम्मा से मम्मा कहने लगा अम्मा बोलीं, कहा है लाला तबियत तौ ठीक ए?
धीरे-धीरे श्री, ऋषि के यहां घर पर आने लगा और उसकी मम्मा से खूब प्यार से बातें करने लगा। इधर ऋषि, श्रीसंत की मम्मा से मिलने घर पहुंचा। वहां पर उसने देखा, कि वह अपनी मम्मा से कुछ मांग रहा है उसने उनकी साड़ी को पकड़कर का मम्मा प्लीज मुझे दो ना, इतने में ही उसकी मम्मी ने कहा कि दूर हटो, साड़ी की प्रैस खराब कर दी और उसे इंग्लिश में इतना बुरी तरह डांटा कि वह चुप हो गया। ऋषि भी डर कर घर भाग आया, आकर अपनी अम्मा के गले में बाहें डाल कर ढेर सारा प्यार उंडेल दिया बोला, अम्मा! आप ऐसी ही अच्छी हो, आप बहुत प्यारी हो। अम्मा कहने लगीं कहा है गयौ? लाला ए आजकल बड़ी बहकी बहकी सी बातन्नें करै। याकी नजर उतार दऊं। लेकिन उसने कुछ नहीं बताया और बस भगवान से प्रार्थना करने लगा नहीं भगवान जी मेरी अम्मा ऐसी ही बढ़िया है, मुझे तो अपनी ही अम्मा चाहिए।