अमृत महोत्सव आजादी का
अमृत महोत्सव आजादी का,खुशियों का बजे मृदंगा।
आओ हर घर के आँगन में,फहराये राष्ट्र तिरंगा।
बालकनी के मुंडेरों पर,देहली और दलान पर।
सभी घरों के छत के ऊपर,छोटे बड़े मकान पर।
गाँव-गाँव में शहर शहर में ,हर नुक्कड़ हर दुकान पर।
भारत माँ का नाम रहेगा, अब तो सबके जुबान पर।
लहर लहर लहराये ऐसे, ज्यों उच्छल उज्ज्वल गंगा।
आओ हर घर के आँगन में,फहराये राष्ट्र तिरंगा।
कश्मीर से कन्याकुमारी ,तक सारे हिंदुस्तान में।
पूरब-पश्चिम उत्तर- दक्षिण,धरती आसमान में।
नदी किनारे पर्वत चोटी,खेतों और खलिहान में।
“जन गण मन”मंगल ध्वनि गूंजे,माँ भारती की शान में।
बहे शांति संयम की धारा,मिटे जड़ों से दंगा।
आओ हर घर के आँगन में,फहराये राष्ट्र तिरंगा।
देव तुल्य पावन वसुधा पर, विश्व गुरु के ग्राम पर।
साहस सौरभ सम्मानों के,सबसे ऊँचे मकाम पर।
कृषक जनों के श्रम से शोणित , उस शुरवीर के घाम पर।
हिन्दू मुस्लिम सिक्ख ईसाई, सर्व धर्मों के धाम पर।
जाति पाति का भेद मिटा कर,उर भरो भावना चंगा।
आओ हर घर के आँगन में,फहराये राष्ट्र तिरंगा ।
-लक्ष्मी सिंह
नई दिल्ली