*अमृत कुंभ गंगा ऋषिकेश *
*ध्यान-योग की पवित्र स्थली
शुभ कर्म जो, गंगा मैय्या की
शरण मिली, महाकुंभ में
आलौकिक स्वर्ग स्वरूपणी *
*ऋषिकेश त्रिवेणी संगम की गंगा घाट की
अद्वितीय छवि अन्नत,अथाह ,अविरल
अमृतमयी जल धारा का विहंगम दृश्य
अमृत का कुम्भ पवित्र करो वाणी
गंगा मैय्या के जयकारों से तुम
तन-मन की पवित्रता का महान संयोग
मिटाने को पाप कर्मों के भोग ….
भाग्यवान हैं, उत्तम बना है संयोग
भक्ति रस से सरोबार ,गूंजते शंखनाद
ऋषिकेश त्रिवेणी हर-हर गंगे के जाप
अमृतमयी जलधारा का अमृत
करने को तत्पर है तन मन को पवित्र
अमृत कलश में भर लो गंगाजल
सुलझ जायेगे जीवन के सभी प्रश्नों के हल … हर – हर गंगे जय मां गंगे *🙏🙏🙏🙏