अमृत और विष
अमृत और विष
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क्या होगा अमृत कोष में गरल वमन करने से?
क्या अमृत हलाहल बन जायेगा
या विष अमृत हो जायेगा ?
इस प्रश्न का उत्तर किस वेद उपनिषद में
खोज रहा हूं मुझे मिलेगा ?
कालकूट अपना स्वभाव नही छोड़ेगा
अमृत तो अमरत्व देकर ही रहेगा
किंतु जब दोनो का मिश्रण होगा
कैसा प्रभाव दर्शाएगा?
इसका उत्तर कहा खोजु, कौन मुझे बतलाएगा?
इसी प्रश्न का उत्तर ,
मेरे विचारों को रहा था हिला
संयोग से एक ज्ञानवान ,
व्यक्ति मुझे चलते चलते यूं ही मिला
उसने मेरे इस प्रश्न का बहुत सरल सा उत्तर दिया
पूछा मुझसे क्या तुम नमक खाते हो ?
मैं बोला कौन नही खाता , सारा विश्व खाता है
तब उस ज्ञानी विद्वान ने ,
बहुत सहज स्वर में समझाया
और नमक की संरचना का रसायन शास्त्र
मेरे ही मुख से उगलवाया
शांत चित्त से सोचो बेटा,
नमक के तत्वों का अवलोकन करो
दो विषैले रसायन मिलाकर ,
जो बना उसका विश्लेषण करो
सोडियम और क्लोरीन , दो पृथक जहर है ,
बहुत ही घातक है
ये दो विष मिलकर किंतु आज ,
सारी पृथ्वी के लिए आवश्यक है
जब दो विष मिले तब प्रभाव कितना उपकारी साबित हुआ
फिर अमृत की महिमा पर ,
शंका का क्या कारण हुआ ?
अमृत अपना स्वभाव और अमरत्व कभी न छोड़ेगा
विष कितना भी सिर उठा ले
मुंह के बल अंततः गिरेगा।
महादेव ने इसी विष को
हंसते हंसते वरण किया
देवो की समस्त दुविधा का
अकेले निस्तारण कर दिया।
सारे देव पाना चाहते थे
अमृत के शाश्वत कलश को
लेकिन अमर हुए नीलकंठ
पीकर उस नीले विष को ।
कितनी ही तामसिक शक्तियां अनेकों बार प्रकट हुई
आसुरिक संहारों से सत्व पर
अधिकार की चेष्टा की गई
विष को भी अपने प्रभाव से अमृत सत्व से भर देगा
इसलिए अमृत कलश में
कितना भी गरल वमन कर देना
किंतु अमृत की सत्यता पर कभी सशंकित मत होना ।
सत्व हमेशा विजयी हुआ है ,
तमस के सभी दुष्प्रभाओं पर
इसीलिए हे मानव अमृत कलश पर
निर्भीक हो विश्वास कर
इस अमृत कलश को
अपने हृदय के भीतर सद्भाव से जागृत कर
देख लेना कब कैसे अधीन
आ जायेंगे समस्त विष के स्वर ।
रचयिता
शेखर देशमुख
J 1104, अंतरिक्ष गोल्फ व्यू 2, सेक्टर 78
नोएडा (UP)