अमृत उद्यान
अमृत उद्यान
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मुगल गार्डन बनल आब अमृत उद्यान ,
मिटेलहुँ हम आक्रान्ता के सभटा निशान।
कतेऽक दिन तक ढोयत भारत आब ,
कलंकित लोक सभहक स्मृति पहचान।
सुतल छल सदिखन से अप्पन अभिमान ,
लुटियंस जे बनौलक वो मुगलक पहचान ।
पचहत्तर वर्ष लागल मात्र नाम मिटाएब ,
लुटियंस से कोनो कम नहिं हमहुं अन्जान।
आज़ाद भेल भारत, मुदा मुगल तइयो महान ,
अनुभूति नहिं केलहुं जेऽ, हम भारत के संतान।
गुलामी के प्रतीक चिह्न,मिटाएब आवश्यक छल ,
अमृत महोत्सव मनाउ, ई छी अप्पन हिन्दुस्तान।
मौलिक आओर स्वरचित
सर्वाधिकार सुरक्षित
© ® मनोज कुमार कर्ण
कटिहार ( बिहार )
तिथि – २८ /०१/२०२३
माघ,शुक्ल पक्ष ,सप्तमी ,शनिवार
विक्रम संवत २०७९
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