अमीरी- गरीबी
———-अमीरी-गरीबी———
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अमीरी – गरीबी में दुराव आ रहा
अमीर अमीर,गरीब गरीब हो रहा
ज़मीर जो बेचता अमीर बन जाए
ईमान जो रखे वह गरीब बन रहा
गरीब को लूटकर ही अमीर बनता
अमीर की चालों में गरीब फंस रहा
गरीबी में वह था , भीड़ को ढूँढता
अमीर बनते ही भीड़ से भाग रहा
अपना अपनों को काट आगे बढ़ता
मीन मीनों का रहे शिकार कर रहा
शाषित शोषित का ही शोषण है करे
शोषित शाषित आखेट रोज कर रहा
हक देने वाला हक को है छीनता
मिलने वालों को नहीं हक मिल रहा
बाज़ार में सरे आम ईमान बिके
सुखविंद्र ईमान नित जलील हो रहा
सुखविंद्र सिंह मनसीरत
खेड़ी राओ वाली (कैथल)