“ अमिट संदेश ”
डॉ लक्ष्मण झा “परिमल ”
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चलो कोई गीत गा लें ,
कोई हम धुन बना लें ,
संगीत की महफ़िल में ,
अपना जलवा दिखा दें !!
कविता बने सुंदर बने ,
अंदाज़ उसके हो नए ,
ताजगी उसकी नई हो ,
लोग उसको फिर सुने !!
लंबी ना हो छोटी बने ,
बात लेकिन ठोस हो ,
जो कहें वो हो सहज ,
उसमें कभी न रोष हो !!
सत्यम, शिवम, सुंदरम ,
गीत में अनिवार्य है ,
शालीनता, मधुर्यता, प्रेम ,
लेखनी का शृंगार है !!
कविता, लेखनी, गीत ,
पुराने सदा हो जाते हैं ,
उसके संदेशों की खुसबू ,
शायद ही मिट पाते हैं !!
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डॉ लक्ष्मण झा “परिमल ”
साउंड हेल्थ क्लिनिक
डॉक्टर’स लेन
दुमका
झारखण्ड
भारत
10.08.2022.